Doers कम, Managers ज़्यादा – Corporate India की सबसे बड़ी बीमारी

10 लोग मीटिंग में, 8 बोल रहे हैं, 2 सोच रहे हैं “असली काम तो हम ही करेंगे”।

क्लासिक सीन।

मैनेजर-टू-डूअर रेशियो बिगड़ गया है।

रिजल्ट: स्लो डिसीजन, ज़ीरो अकाउंटेबिलिटी, डूअर्स बर्नआउट, मैनेजर्स ओवरटॉक।

टीम की असली ताकत बॉस नहीं, डूअर्स से बनती है।

काम करने वालों को अधिकार, स्पेस और रिस्पेक्ट दो – कंपनी अपने आप दौड़ेगी।

आपके ऑफिस में मैनेजर ज्यादा हैं या डूअर्स? कमेंट करें।

Overloaded doer carrying heavy load while managers talk – classic corporate India ratio problem

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top