71% भारतीय कर्मचारी कहते हैं – वर्क-लाइफ बैलेंस अब सपना बन गया।
लेट नाइट ईमेल्स, वीकेंड कॉल्स, “urgent” टास्क की बाढ़।
डॉक्टर्स चेतावनी दे रहे हैं – बर्नआउट अब मेडिकल इमरजेंसी है।
मेंटल हेल्थ क्रैश, स्लीप डिस्टर्बेंस, रिलेशनशिप टूटना – सब हो रहा है।
हेल्दी एम्प्लॉयी ही प्रोडक्टिव और क्रिएटिव होता है।
वर्क-लाइफ बैलेंस लग्ज़री नहीं, बेसिक ह्यूमन नीड है।
आपके ऑफिस में बैलेंस है या सिर्फ़ सपना? कमेंट करें।

